सौ में चार कोरोना मरीजों में फंगस, आधे से अधिक की मौत
सेहतराग टीम
कोरोना के दूसरे दौर का कहर भले ही कम होता दिख रहा है मगर देश के स्वास्थ्य सेवकों के माथे पर अब फंगस की चिंता ने बल डाल दिए हैं। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने फंगस वाले मरीजों पर एक सर्वे किया है और इसके नतीजे चौंकाने वाले हैं।
आईसीएमआर के इस सर्वे की मानें तो देश में कोरोना के हर 100 मरीजों में से चार मरीज फंगस की चपेट में आ रहे हैं। इनमें से 57 फीसदी को बचाया नहीं जा पा रहा है यानी फंगस का शिकार होने वाले मरीजों में मौत की दर 50 फीसदी से भी अधिक है। फंगस यानी म्युकरमायकोसिस में ब्लैक, व्हाइट, यलो सभी तरह के फंगस शामिल हैं। आईसीएमआर के महामारी विज्ञान और संचारी रोग विभाग द्वारा कराए गए इस सर्वे में देश के अलग अलग अस्पतालों में भर्ती हुए 17 हजार कोरोना मरीजों को शामिल किया गया है।
संचारी रोग विभाग के प्रमुख डॉक्टर समीरन पांडा के अनुसार सर्वे में ये भी सामने आया है कि मरीजों में यदि कोरोना के साथ-साथ कोई और भी संक्रमण हो जाए तो उनमें मौत की दर पांच गुना तक बढ़ जाती है।
गौरतलब है कि कोरोना के इलाज के दौरान स्टेरॉयड तथा अन्य एंटीबायोटिक दवाओं का बेहिसाब इस्तेमाल किया जा रहा है। अनियंत्रित डायबिटीज के साथ इन दवाओं के अंधाधुंध इस्तेमाल को फंगस संक्रमण के लिए अभी तक जिम्मेदार बताया जाता रहा है। हालांकि दिल्ली में ही ऐसे फंगस के मरीज मिले हैं जिन्हें डायबिटीन नहीं थी। ऐसे भी मरीज मिले जिन्हें कोरोना ही नहीं था। हालांकि डॉक्टर ऐसे मामलों को अपवाद ही मान रहे हैं और उनका कहना है कि कोरोना इलाज के लिए ज्यादा दिनों तक अस्पताल में रहने, मधुमेह की स्थिति गंभीर होने और इनमें स्टेरायड का गलत इस्तेमाल होने के कारण मरीज फंगस संक्रमण का शिकार हो रहे हैं। देश में अभी फंगस संक्रमण ठीक करने वाली दवा की गंभीर कमी है।
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